अधिक मास में क्या नहीं करें
1- अधिकमास में नामकरण, श्राद्ध, तिलक, मुंडन, कर्णछेदन, गृह प्रवेश, संन्यास, यज्ञ, दीक्षा लेना, देव प्रतिष्ठा, विवाह आदि शुभ व मांगलिक कार्यों को करना वर्जित बताया गया है। क्योंकि इस अवधि में भगवान शयन कर चुके होते हैं। इसलिए मलमास में ये कार्य करना वर्जित होता है।
अब आईए जानते है नामकरण का महत्व -
अमावस्या, चतुर्दशी और अष्टमी तिथि पर ये संस्कार नहीं किया जाता है. आयुर्वेडभिवृद्धिश्च सिद्धिर्व्यवहतेस्तथा। नामकर्मफलं त्वेतत् समुद्दिष्टं मनीषिभिः।। इस श्लोक में नामकरण संस्कार के महत्व का वर्णन करते हुआ बताया गया है कि इस संस्कार का असर बच्चे के व्यक्तिव पर पड़ता है.
नामकरण संस्कार का शुभ मुहूर्त
इसके अलावा बच्चे के जन्म से 11वें या 12वें दिन जब भी सोमवार, बुधवार या शुक्रवार का दिन हो और तारीख 1, 2, 3, 5, 7, 10, 11, 12, 13 आ रही हो तो ये दिन नामकरण संस्कार के लिए शुभ होता है.
जन्म से 11वें दिन, 101वें दिन या एक वर्ष हो जाने पर नामकरण संस्कार करें। ।। ॐ श्रीं (अमुक) वेदोअसि वेदो भूया: ॐ नम:।।
सोमवार, गुरुवार और शुक्रवार के दिन नामकरण संस्कार करना शुभ माना जाता है। लेकिन अमावस्या, चतुर्थी या अष्टमी तिथि के दिन नामकरण संस्कार करना शुभ नहीं माना जाता।
नामकरण संस्कार का महत्व (Namkaran Sanskar Significance)
आयुर्वेडभिवृद्धिश्च सिद्धिर्व्यवहतेस्तथा। नामकर्मफलं त्वेतत् समुद्दिष्टं मनीषिभिः।। इस श्लोक में नामकरण संस्कार के महत्व का वर्णन करते हुआ बताया गया है कि इस संस्कार का असर बच्चे के व्यक्तिव पर पड़ता है. उसका नाम ही उसके अस्तित्व की पहचान है. अपने नाम, आचरण, कर्म से बच्चा प्रसिद्धि प्राप्त करता है. इससे उसके आयु और तेज में वृद्धि होती है.
बच्चे के नाम का अर्थ उसके चरित्र को प्रभावित करता है. अगर बच्चे का नाम उसके ग्रहों की स्थिति से मेल न खाएं तो वह बच्चों के लिए दुर्भाग्य लेकर आ सकता है, इसलिए सोच-समझकर ही बच्चे के नाम का चुनाव करें.
नामकरण संस्कार की विधि (Namkaran Sanskar Vidhi)
- नामकरण के दिन बच्चे के जन्म के नक्षत्रों, ग्रहों की दिशा, तिथि समय जैसी कई महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखकर उसकी कुंडली बनाई जाती है. इसी कुंडली के आधार पर बच्चे की चंद्र राशि के आधार पर राशि के पहले अक्षर से बच्चे का नाम रख देते हैं.
- नामकरण के दिन पूजा मंगलाचरण, षट्कर्म, संकल्प, यज्ञोपवीत परिवर्तन, कलावा, तिलक और रक्षा विधान पूरा किया जाता है.
- पूजा में गंगाजल से भरे कलश की पूजा की जाती है, बच्चे के कमर पर मेखला बांधी जाती है. बच्चे के माता-पिता या बुआ उसके कान में नाम बोलते हैं.
- नामकरण के दिन इस मंत्र से हवन में आहूति दी जाती है - ॐ भूर्भुवरू स्वः। अग्निऋषि पवमानः पांचजन्यः पुरोहितः। तमीमहे महागयं स्वाहा। इदम् अग्नये पवमानाय इदं न मम॥