बलिवैश्य यज्ञ यज्ञ का छोटा रूप है जो हमें नित्य घर पर करना चाहिए जिसमे साधन भी ज्यादा नहीं लगते, एक ताँबे की प्लेट या कोई भी धातु की प्लेट लेकर खाना बनाने वाले चूल्हे पर रखकर गर्म करें, फिर एक दूसरी प्लेट मे बिना नमक मिर्च वाला जैसे चावल, रोटी को ले उसमे घी, गुड़ या शक्कर मिला लेवे और पांच बार गायत्री मंत्र के साथ आहुतिया समर्पित करें प्लेट मे थोड़ा सा बचाकर उसे प्रसाद रूप मे भोजन मे मिला ले !
👉इसके लाभ :-
👉घर मे संस्कारित वातावरण बनता है !
👉यज्ञ से बचा हुआ हमप्रसाद रूप मे खाने का भाव बनता है !
👉जैसा खावे अन्ना वैसा बने मन एक मनोवैज्ञानिक लाभ लता है !
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