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रविवार, 16 अक्तूबर 2022
गुरुवार, 6 अक्तूबर 2022
सोमवार, 3 अक्तूबर 2022
बुधवार, 31 अगस्त 2022
Bhadra pad Shukla Bhadra Shubh
शुक्ल पक्ष की चतुर्थी व एकादशी तथा कृष्ण पक्ष की तृतीया व दशमी तिथि वाली भद्रा दिन में शुभ होती है, केवल रात्रि में अशुभ होती है। - शुक्ल पक्ष की अष्टमी व पूर्णिमा तथा कृष्ण पक्ष की सप्तमी व चतुर्दशी तिथि वाली भद्रा रात्रि में शुभ होती है, केवल दिन में अशुभ होती है।
भद्रा में भूलकर न करें ये काम
कैसे हुई भद्रा की उत्पत्ति -
पौराणिक कथाओं के अनुसार दैत्यों को मारने के लिए सूर्यदेव और उनकी पत्नी छाया से गर्दभ (गधा) के मुख और लंबी पूंछ और तीन पैर युक्त भद्रा उत्पन्न हुई. जन्म लेते ही भद्रा यज्ञों में विघ्न पहुंचाने लगी और मंगल-कार्यों में उपद्रव करने लगी तथा जगत को पीड़ा पहुंचाने लगी.
पौराणिक कथाओं के अनुसार दैत्यों को मारने के लिए सूर्यदेव और उनकी पत्नी छाया से गर्दभ (गधा) के मुख और लंबी पूंछ और तीन पैर युक्त भद्रा उत्पन्न हुई. जन्म लेते ही भद्रा यज्ञों में विघ्न पहुंचाने लगी और मंगल-कार्यों में उपद्रव करने लगी तथा जगत को पीड़ा पहुंचाने लगी.
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भद्रा का मतलब क्या होता है?
भद्रा का मतलब क्या होता है?
यूं तो 'भद्रा' का शाब्दिक अर्थ है 'कल्याण करने वाली' लेकिन इस अर्थ के विपरीत भद्रा या विष्टि करण में शुभ कार्य निषेध बताए गए हैं। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार अलग-अलग राशियों के अनुसार भद्रा तीनों लोकों में घूमती है। जब यह मृत्युलोक में होती है, तब सभी शुभ कार्यों में बाधक या या उनका नाश करने वाली मानी गई है।
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