बंधुओ !असली शक्ति समाज के हाथ मे रहती हैं, जनता से बड़ा दैत्य, जनता से बड़ा राक्षस, ज़ालिम, और जनता से बड़ा शक्तिशाली भी दूसरा कोई हो नहीं सकता, जो शक्ति जनता के पास वो और किसी के पास नहीं !वो चाहे तो शासन को ऊंचा करें चाहे
निचे गिरा दे, यदि हम बताएँगे की अपनी समस्या समाधान आप खुद कर सकते हो स्कूल कॉलेज बनाना उतना आसन हैं लेकिन जनता की प्रवृति को जगाना आसान नहीं होता, और स्वावलम्बी बनाना कोई भी राष्ट्र ऊंचा उठा हैं तो स्वावलम्बी होकर उठा हैं, परायी सहायता से आज तक कोई नहीं उठा हैं, हम गाँव गाँव जाएंगे घर घर कहेँगे हर रोज 1घंटा समाज के लिए समय देने को कहेँगे, तो आप कहेँगे क्या यही अध्यात्म हैं तो हाँ अध्यात्म भी धर्म भी भक्ति भी आज की जरुरत हैं यही हम सबको करना चाहिए !
विचार विश्लेषण -पं. सुनील नाडेकर गायत्री प्रज्ञा मण्डल अमरावती घाट
:सन्दर्भ ग्रन्थ:वां.-68पृ. 53-55-लेखक पं श्रीराम शर्मा आचार्य
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