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शनिवार, 22 मई 2021

साउंड बाथ थेरपी

 जासं, रांची : दैनिक जागरण के ब्रांड झारखंड फेसबुक पेज पर शुक्रवार को व‌र्ल्ड मेडिटेशन दिवस पर योग से बढ़ाएं इम्यूनिटी कार्यक्रम का लाइव प्रसारण किया गया। इसमें अखिल भारतीय योग शिक्षक संघ के संयोजक सह योग गुरु मंगेश त्रिवेदी के निर्देशन में संघ के पदाधिकारी एवं कर्नाटक के रहने वाले गिरधारी काड ने लोगों को कोरोना काल में न घबराते हुए साउंड बाथ मेडिटेशन के माध्यम से शरीर की रोग प्रतिरोग शक्ति बढ़ाने व मानसिक शांति प्राप्त करने का तरीका भी समझाया। लाइव कार्यक्रम में न केवल रांची, बल्कि देश के अन्य क्षेत्रों के साथ पड़ोसी देश नेपाल से भी लोग शामिल हुए और साउंड बाथ मेडिटेशन के विषय में जानकारी प्राप्त की।


योग का सातवां अंग है मेडिटेशन


कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए योग गुरु मंगेश त्रिवेदी ने कहा कि ध्यान या मेडिटेशन योग का सातवां अंग है। अपने विचारों को परिष्कृत कर सही जगह पर लगाने को ही ध्यान कहा जाता है। उन्होंने कहा कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में ध्यान के साथ-साथ ध्वनि का भी बड़ा योगदान होता है। ध्वनि एवं प्रकृति दोनों ही ऐसे माध्यम हैं, जहां मन लगाने से हमारा चित्त स्थिर होता है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में रोग प्रतिरोधक क्षमता का बढ़ना अति आवश्यक है। हम साउंड बाथ वाइब्रेशन थेरेपी के माध्यम से रोग प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने के साथ ही मेंटल स्ट्रेस को दूर भगाकर एक स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। उन्होंने कहा कि साउंड बाथ थेरेपी का अर्थ है ध्वनि से नहाना। जिस प्रकार हम अपने बाहरी शरीर की गंदगी को दूर करने के लिए पानी से नहाते हैं, उसी प्रकार शरीर के अंदर की गंदगी को दूर करने में साउंड बाथ थेरेपी काफी कारगर है, लेकिन यह एक दिन करने से अपना असर नहीं दिखा सकती है। इसके लाभ के लिए नियमित अभ्यास जरूरी है।


शारीरिक स्वास्थ्य से अधिक मानसिक स्वास्थ्य का महत्व


कार्यक्रम में मौजूद साउंड बाथ वाइब्रेशन थेरेपी के विशेषज्ञ गिरिधर काड ने कहा कि मौजूदा समय में शारीरिक स्वास्थ्य से अधिक मानसिक स्वास्थ्य का महत्व है। ध्यान करने से हमारा मन स्थिर होता है, जिससे हमारी ऊर्जा केंद्रित होती है और ऊर्जा बढ़ने से रोग प्रतिरोधक शक्ति का विकास होता है। उन्होंने कहा कि दैनिक जागरण के ब्रांड झारखंड फेसबुक पेज पर कार्यक्रम का विषय मेडिटेशन या ध्यान है। मेडिटेशन कई तरीके के होते हैं, जिनमें से एक साउंड बाथ मेडिटेशन भी है। मेडिटेशन की इस विधा में तिब्बती सिगिग बाउल, थाई जाइलोफोन, ट्यूंड हीलिग पाइप जैसे लैब टेस्टेड उपकरणों के माध्यम से मनभावन ध्वनि और हल्के कंपन द्वारा हीलिग की जाती है, जो शरीर को तनावमुक्त करने एवं दिमाग को शांत करने में मदद करती है। चित्त स्थिर होने से हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति भी धीरे-धीरे बढ़ती है। साउंड थेरेपी में ध्वनि तरंगों की मदद से कंपन उत्पन्न कर शरीर तक पहुंचाई जाती है। ये कंपन शरीर को तनावमुक्त बनाते हैं। गिरिधर ने बताया कि तिब्बती सिगिग बाउल सात तरह के धातुओं से बने होते हैं। इनको बजाने से जो ध्वनि तरंगें उत्पन्न होती हैं, उससे शरीर पर सकारात्मक असर पड़ता है और हमारा शरीर स्थिर होता है। शरीर के विभिन्न अंगों के लिए बाउल के बजाने पर अलग-अलग फ्रिक्वेंसी या आवृत्ति उत्पन्न होती है। उदाहरण के तौर पर अग्नाशय या पैंक्रियाज की फ्रिक्वेंसी 117.6 ह‌र्ट्ज है। उसी प्रकार ट्यूंड हीलिग पाइप से निकली ध्वनि तरंगें 432 ह‌र्ट्ज का फ्रिक्वेंसी बनाती हैं, जो हमारे चित्त को स्थिर करती हैं। थाई जाइलोफोन से निकली ध्वनि तरंगें हमारे शरीर के बाहर का आभामंडल को परिष्कृत करती हैं, जिसकी फ्रिक्वेंसी 790 ह‌र्ट्ज है।


प्रत्येक चक्र की होती है अलग-अलग फ्रिक्वेंसी


उन्होंने बताया कि हमारे शरीर में सात मुख्य चक्र होते हैं और प्रत्येक चक्र की अलग-अलग फ्रिक्वेंसी होती है। उसी तरह अलग-अलग चक्र के लिए अलग-अलग बाउल का प्रयोग किया जाता है। जिसके माध्यम से थेरेपी देकर रोग प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने के साथ मानसिक शांति प्राप्त की जा सकती है। उदाहरण के तौर पर हमारे शरीर के मेरूदंड या रीढ़ की हड्डी के ठीक नीचे जो चक्र अवस्थित है, उसे मूलाधार चक्र कहते हैं। उसकी फ्रिक्वेंसी 396 ह‌र्ट्ज है। मूलाधार चक्र का सिगिग बाउल उसे नियंत्रित करता है। उसी प्रकार नाभि चक्र के बिल्कुल चार इंच नीचे स्वाधिष्ठान चक्र स्थित है। यह चक्र क्रिएटिविटी से जुड़ा होता है। इस चक्र का बाउल बजाने से 4171 ह‌र्ट्ज की आवृत्ति उत्पन्न होती है। उसी प्रकार जाइलोफोन की फ्रिक्वेंसी 790 ह‌र्ट्ज है।


साउंड बाथ थेरेपी से निकल जाते हैं विषाक्त तत्व


उन्होंने कहा कि हमारे शरीर में 70-72 फीसदी जल की मात्रा है। साउंथ थेरेपी के तहत बाउल में 70 फीसदी जल भर कर उपकरण के माध्यम से गोल-गोल घूमाने से जो ध्वनि तरंगे उत्पन्न होती है, उससे जल ऊपर आने लगता है और उस ध्वनि के सुनने से शरीर में मौजूद विषाक्त तत्व पसीना, मल एवं मूत्र के माध्यम से बाहर निकल जाता है। इससे हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है जो किसी भी प्रकार के वायरस के प्रभाव से हमें बचाता है। हालांकि यह एक दिन में नहीं होता है। नियमित करने से अच्छा परिणाम सामने आता है।


साउंड बाथ थेरेपी की विधि


साउंड थेरेपी को अच्छे से समझाने के लिए उन्होंने लाइव कार्यक्रम में शामिल होने वाले लोगों को संबोधित करते हुए जमीन पर मैट बिछाकर लेट जाने को कहा। उसके बाद कम रोशनी में आंख बंदकर शरीर को हल्का कर पूरा ध्यान सांसों पर लगाने के बाद बाउल की ध्वनि तरंगें एकाग्र होकर सुनने को कहा। कहा कि बाउल एवं अन्य उपकरणों के बजने से उत्पन्न मधुर एवं मनभावन ध्वनि तरंगें ध्यान और एकाग्रता बढ़ाने में सहायक हैं। कुछ देर विभिन्न उपकरणों से हल्की ध्वनि तरंगें उत्पन्न करने के पश्चात उन्होंने ओम शांति-शांति-शांति हे का उच्चारण आरंभ किया। इसकी ध्वनि तरंग भी स्ट्रेस घटाने में काफी सहायक साबित हुई। फिर उन्होंने सभी को धीरे-धीरे आंख खोलकर बैठ जाने को कहा। उन्होंने कहा कि इस थेरेपी का नियमित अभ्यास करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति जरूर बढ़ेगी। साथ ही मानसिक तनाव भी दूर होगा। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य प्राकृतिक उपायों को अपना कर कोरोना जैसी महामारी से लड़ने की क्षमता विकसित करना है। लिहाजा इस साउंड थेरेपी का इस्तेमाल नियमित तौर पर करने से ही लाभ नजर आएगा।


साउंथ बाथ थेरेपी के फायदे


इस थेरेपी के नियमित अभ्यास से स्ट्रेस और चिता जैसे मानसिक विकार दूर होते हैं। यह ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने के साथ-साथ तनाव को कम करती है। थकान के कारण मानसिक तौर से थकावट महसूस करने में भी साउंड थेरेपी फायदेमंद साबित हो सकती है।


https://www.jagran.com/jharkhand/ranchi-sound-bath-theraoy-is-useful-in-immunity-development-21665546.html

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