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शुक्रवार, 26 अगस्त 2022

POLA PARVA 2022

 

पोला त्योहार मनाने के पीछे यह कहावत है कि अगस्त माह में खेती-किसानी का काम समाप्त होने के बाद इसी दिन अन्न माता गर्भ धारण करती है यानी धान के पौधों में इस दिन दूध भरता है इसीलिए यह त्योहार मनाया जाता है। यह त्योहार पुरुषों-स्त्रियों एवं बच्चों के लिए अलग-अलग महत्व रखता है। इस दिन पुरुष पशुधन (बैलों) को सजाकर उनकी पूजा करते हैं। इसके साथ ही इस दिन 'बैल सजाओ प्रतियोगिता' का आयोजन किया जाता है।
 
महिलाएं इस त्योहार के वक्त अपने मायके जाती हैं। छोटे बच्चे मिट्टी के बैलों की पूजा करते हैं। इस दिन शहर से लेकर गांव तक पोला पर्व की धूम रहती है। इस दौरान जगह-जगह बैलों की पूजा-अर्चना होती है। 
 
पर्व के 2-3 दिन पहले से ही बाजारों में मिट्टी के बैलजोड़ी बिकते दिखाई देते हैं। बढ़ती महंगाई के कारण इनके दामों में भी बढ़ोतरी हो गई है। इसके अलावा मिट्टी के अन्य खिलौनों की भी भरमार बाजारों में दिखाई देती है। पिठोरी अमावस्या के दिन मिट्टी और लकड़ी से बने बैल चलाने की भी परंपरा है।
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