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मंगलवार, 11 फ़रवरी 2025
स्वर्ण प्राशन
स्वर्णप्राशन, आयुर्वेद की एक प्रक्रिया है जिसमें सोने की राख को शहद और जड़ी-बूटियों के साथ मिलाकर दिया जाता है. यह बच्चों के विकास, स्मृति, और प्रतिरक्षा के लिए फ़ायदेमंद होता है. इसे स्वर्ण बिंदु प्राशन, स्वर्णमृत प्राशन, हिरण्य प्राशन, और सुवर्णप्राशन के नामों से भी जाना जाता है.
स्वर्णप्राशन के फ़ायदे:
यह बच्चों की शारीरिक और मानसिक गति में सुधार करता है.
यह बच्चों में रोगों से लड़ने की क्षमता पैदा करता है.
यह बच्चों के श्वसन संबंधी और अन्य रोगों से रक्षा करता है.
यह बच्चों की एकाग्रता और स्मरण शक्ति बढ़ाने में मदद करता है.
यह बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में मदद करता है.
स्वर्णप्राशन देने का तरीका:
जन्म से लेकर 16 वर्ष की आयु तक स्वर्णप्राशन की सलाह दी जाती है.
जन्म से लेकर कम से कम छह महीने तक इसे प्रतिदिन देना लाभदायक होता है.
इसे हर माह की पुष्य नक्षत्र तिथि में दिया जा सकता है.
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