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सोमवार, 11 अप्रैल 2022

दिशाएं 10 होती हैं

दिशाएं 10 होती हैं जिनके नाम और क्रम इस प्रकार हैं- उर्ध्व, ईशान, पूर्व, आग्नेय, दक्षिण, नैऋत्य, पश्चिम, वायव्य, उत्तर और अधो। एक मध्य दिशा भी होती है। इस तरह कुल मिलाकर 11 दिशाएं हुईं। हिन्दू धर्मानुसार प्रत्येक दिशा का एक देवता नियुक्त किया गया है जिसे 'दिग्पाल' कहा गया है अर्थात दिशाओं के पालनहार। दिशाओं की रक्षा करने वाले। 10 दिशा के 10 दिग्पाल : उर्ध्व के ब्रह्मा, ईशान के शिव व ईश, पूर्व के इंद्र, आग्नेय के अग्नि या वह्रि, दक्षिण के यम, नैऋत्य के नऋति, पश्चिम के वरुण, वायव्य के वायु और मारुत, उत्तर के कुबेर और अधो के अनंत।

रविवार, 13 मार्च 2022

योग की 100 जानकारी आपके लिए

योग की कुछ 100 जानकारी जिसका ज्ञान सबको होना चाहिए 〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️ 1.योग,भोग और रोग ये तीन अवस्थाएं है। 2. *लकवा* - सोडियम की कमी के कारण होता है । 3. *हाई वी पी में* - स्नान व सोने से पूर्व एक गिलास जल का सेवन करें तथा स्नान करते समय थोड़ा सा नमक पानी मे डालकर स्नान करे । 4. *लो बी पी* - सेंधा नमक डालकर पानी पीयें । 5. *कूबड़ निकलना*- फास्फोरस की कमी । 6. *कफ* - फास्फोरस की कमी से कफ बिगड़ता है , फास्फोरस की पूर्ति हेतु आर्सेनिक की उपस्थिति जरुरी है । गुड व शहद खाएं । 7. *दमा, अस्थमा* - सल्फर की कमी । 8. *सिजेरियन आपरेशन* - आयरन , कैल्शियम की कमी । 9. *सभी क्षारीय वस्तुएं दिन डूबने के बाद खायें* । 10. *अम्लीय वस्तुएं व फल दिन डूबने से पहले खायें* । 11. *जम्भाई*- शरीर में आक्सीजन की कमी । 12. *जुकाम* - जो प्रातः काल जूस पीते हैं वो उस में काला नमक व अदरक डालकर पियें । 13. *ताम्बे का पानी* - प्रातः खड़े होकर नंगे पाँव पानी ना पियें । 14. *किडनी* - भूलकर भी खड़े होकर गिलास का पानी ना पिये । 15. *गिलास* एक रेखीय होता है तथा इसका सर्फेसटेन्स अधिक होता है । गिलास अंग्रेजो ( पुर्तगाल) की सभ्यता से आयी है अतः लोटे का पानी पियें, लोटे का कम सर्फेसटेन्स होता है । 16. *अस्थमा , मधुमेह , कैसर* से गहरे रंग की वनस्पतियाँ बचाती हैं । 17. *वास्तु* के अनुसार जिस घर में जितना खुला स्थान होगा उस घर के लोगों का दिमाग व हृदय भी उतना ही खुला होगा । 18. *परम्परायें* वहीँ विकसित होगीं जहाँ जलवायु के अनुसार व्यवस्थायें विकसित होगीं । 19. *पथरी* - अर्जुन की छाल से पथरी की समस्यायें ना के बराबर है । 20. *RO* का पानी कभी ना पियें यह गुणवत्ता को स्थिर नहीं रखता । कुएँ का पानी पियें । बारिस का पानी सबसे अच्छा , पानी की सफाई के लिए *सहिजन* की फली सबसे बेहतर है । 21. *सोकर उठते समय* हमेशा दायीं करवट से उठें या जिधर का *स्वर* चल रहा हो उधर करवट लेकर उठें । 22. *पेट के बल सोने से* हर्निया, प्रोस्टेट, एपेंडिक्स की समस्या आती है । 23. *भोजन* के लिए पूर्व दिशा , *पढाई* के लिए उत्तर दिशा बेहतर है । 24. *HDL* बढ़ने से मोटापा कम होगा LDL व VLDL कम होगा । 25. *गैस की समस्या* होने पर भोजन में अजवाइन मिलाना शुरू कर दें । 26. *चीनी* के अन्दर सल्फर होता जो कि पटाखों में प्रयोग होता है , यह शरीर में जाने के बाद बाहर नहीं निकलता है। चीनी खाने से *पित्त* बढ़ता है । 27. *शुक्रोज* हजम नहीं होता है *फ्रेक्टोज* हजम होता है और भगवान् की हर मीठी चीज में फ्रेक्टोज है । 28. *वात* के असर में नींद कम आती है । 29. *कफ* के प्रभाव में व्यक्ति प्रेम अधिक करता है । 30. *कफ* के असर में पढाई कम होती है । 31. *पित्त* के असर में पढाई अधिक होती है । 33. *आँखों के रोग* - कैट्रेक्टस, मोतियाविन्द, ग्लूकोमा , आँखों का लाल होना आदि ज्यादातर रोग कफ के कारण होता है । 34. *शाम को वात*-नाशक चीजें खानी चाहिए । 35. *प्रातः 4 बजे जाग जाना चाहिए* । 36. *सोते समय* रक्त दवाव सामान्य या सामान्य से कम होता है । 37. *व्यायाम* - *वात रोगियों* के लिए मालिश के बाद व्यायाम , *पित्त वालों* को व्यायाम के बाद मालिश करनी चाहिए । *कफ के लोगों* को स्नान के बाद मालिश करनी चाहिए । 38. *भारत की जलवायु* वात प्रकृति की है , दौड़ की बजाय सूर्य नमस्कार करना चाहिए । 39. *जो माताएं* घरेलू कार्य करती हैं उनके लिए व्यायाम जरुरी नहीं । 40. *निद्रा* से *पित्त* शांत होता है , मालिश से *वायु* शांति होती है , उल्टी से *कफ* शांत होता है तथा *उपवास* ( लंघन ) से बुखार शांत होता है । 41. *भारी वस्तुयें* शरीर का रक्तदाब बढाती है , क्योंकि उनका गुरुत्व अधिक होता है । 42. *दुनियां के महान* वैज्ञानिक का स्कूली शिक्षा का सफ़र अच्छा नहीं रहा, चाहे वह 8 वीं फेल न्यूटन हों या 9 वीं फेल आइस्टीन हों , 43. *माँस खाने वालों* के शरीर से अम्ल-स्राव करने वाली ग्रंथियाँ प्रभावित होती हैं । 44. *तेल हमेशा* गाढ़ा खाना चाहिएं सिर्फ लकडी वाली घाणी का , दूध हमेशा पतला पीना चाहिए । 45. *छिलके वाली दाल-सब्जियों से कोलेस्ट्रोल हमेशा घटता है ।* 46. *कोलेस्ट्रोल की बढ़ी* हुई स्थिति में इन्सुलिन खून में नहीं जा पाता है । ब्लड शुगर का सम्बन्ध ग्लूकोस के साथ नहीं अपितु कोलेस्ट्रोल के साथ है । 47. *मिर्गी दौरे* में अमोनिया या चूने की गंध सूँघानी चाहिए । 48. *सिरदर्द* में एक चुटकी नौसादर व अदरक का रस रोगी को सुंघायें । 49. *भोजन के पहले* मीठा खाने से बाद में खट्टा खाने से शुगर नहीं होता है । 50. *भोजन* के आधे घंटे पहले सलाद खाएं उसके बाद भोजन करें । 51. *अवसाद* में आयरन , कैल्शियम , फास्फोरस की कमी हो जाती है । फास्फोरस गुड और अमरुद में अधिक है । 52. *पीले केले* में आयरन कम और कैल्शियम अधिक होता है । हरे केले में कैल्शियम थोडा कम लेकिन फास्फोरस ज्यादा होता है तथा लाल केले में कैल्शियम कम आयरन ज्यादा होता है । हर हरी चीज में भरपूर फास्फोरस होती है, वही हरी चीज पकने के बाद पीली हो जाती है जिसमे कैल्शियम अधिक होता है । 53. *छोटे केले* में बड़े केले से ज्यादा कैल्शियम होता है । 54. *रसौली* की गलाने वाली सारी दवाएँ चूने से बनती हैं । 55. हेपेटाइट्स A से E तक के लिए चूना बेहतर है । 56. *एंटी टिटनेस* के लिए हाईपेरियम 200 की दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दे । 57. *ऐसी चोट* जिसमे खून जम गया हो उसके लिए नैट्रमसल्फ दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दें । बच्चो को एक बूंद पानी में डालकर दें । 58. *मोटे लोगों में कैल्शियम* की कमी होती है अतः त्रिफला दें । त्रिकूट ( सोंठ+कालीमिर्च+ मघा पीपली ) भी दे सकते हैं । 59. *अस्थमा में नारियल दें ।* नारियल फल होते हुए भी क्षारीय है ।दालचीनी + गुड + नारियल दें । 60. *चूना* बालों को मजबूत करता है तथा आँखों की रोशनी बढाता है । 61. *दूध* का सर्फेसटेंसेज कम होने से त्वचा का कचरा बाहर निकाल देता है । 62. *गाय की घी सबसे अधिक पित्तनाशक फिर कफ व वायुनाशक है ।* 63. *जिस भोजन* में सूर्य का प्रकाश व हवा का स्पर्श ना हो उसे नहीं खाना चाहिए । 64. *गौ-मूत्र अर्क आँखों में ना डालें ।* 65. *गाय के दूध* में घी मिलाकर देने से कफ की संभावना कम होती है लेकिन चीनी मिलाकर देने से कफ बढ़ता है । 66. *मासिक के दौरान* वायु बढ़ जाता है , 3-4 दिन स्त्रियों को उल्टा सोना चाहिए इससे गर्भाशय फैलने का खतरा नहीं रहता है । दर्द की स्थति में गर्म पानी में देशी घी दो चम्मच डालकर पियें । 67. *रात* में आलू खाने से वजन बढ़ता है । 68. *भोजन के* बाद बज्रासन में बैठने से *वात* नियंत्रित होता है । 69. *भोजन* के बाद कंघी करें कंघी करते समय आपके बालों में कंघी के दांत चुभने चाहिए । बाल जल्द सफ़ेद नहीं होगा । 70. *अजवाईन* अपान वायु को बढ़ा देता है जिससे पेट की समस्यायें कम होती है । 71. *अगर पेट* में मल बंध गया है तो अदरक का रस या सोंठ का प्रयोग करें । 72. *कब्ज* होने की अवस्था में सुबह पानी पीकर कुछ देर एडियों के बल चलना चाहिए । 73. *रास्ता चलने*, श्रम कार्य के बाद थकने पर या धातु गर्म होने पर दायीं करवट लेटना चाहिए । 74. *जो दिन मे दायीं करवट लेता है तथा रात्रि में बायीं करवट लेता है उसे थकान व शारीरिक पीड़ा कम होती है ।* 75. *बिना कैल्शियम* की उपस्थिति के कोई भी विटामिन व पोषक तत्व पूर्ण कार्य नहीं करते है । 76. *स्वस्थ्य व्यक्ति* सिर्फ 5 मिनट शौच में लगाता है । 77. *भोजन* करते समय डकार आपके भोजन को पूर्ण और हाजमे को संतुष्टि का संकेत है । 78. *सुबह के नाश्ते* में फल , *दोपहर को दही* व *रात्रि को दूध* का सेवन करना चाहिए । 79. *रात्रि* को कभी भी अधिक प्रोटीन वाली वस्तुयें नहीं खानी चाहिए । जैसे - दाल , पनीर , राजमा , लोबिया आदि । 80. *शौच और भोजन* के समय मुंह बंद रखें , भोजन के समय टी वी ना देखें । 81. *मासिक चक्र* के दौरान स्त्री को ठंडे पानी से स्नान , व आग से दूर रहना चाहिए । 82. *जो बीमारी जितनी देर से आती है , वह उतनी देर से जाती भी है ।* 83. *जो बीमारी अंदर से आती है , उसका समाधान भी अंदर से ही होना चाहिए ।* 84. *एलोपैथी* ने एक ही चीज दी है , दर्द से राहत । आज एलोपैथी की दवाओं के कारण ही लोगों की किडनी , लीवर , आतें , हृदय ख़राब हो रहे हैं । एलोपैथी एक बिमारी खत्म करती है तो दस बिमारी देकर भी जाती है । 85. *खाने* की वस्तु में कभी भी ऊपर से नमक नहीं डालना चाहिए , ब्लड-प्रेशर बढ़ता है । 86 . *रंगों द्वारा* चिकित्सा करने के लिए इंद्रधनुष को समझ लें , पहले जामुनी , फिर नीला ..... अंत में लाल रंग । 87 . *छोटे* बच्चों को सबसे अधिक सोना चाहिए , क्योंकि उनमें वह कफ प्रवृति होती है , स्त्री को भी पुरुष से अधिक विश्राम करना चाहिए । 88. *जो सूर्य निकलने* के बाद उठते हैं , उन्हें पेट की भयंकर बीमारियां होती है , क्योंकि बड़ी आँत मल को चूसने लगती है । 89. *बिना शरीर की गंदगी* निकाले स्वास्थ्य शरीर की कल्पना निरर्थक है , मल-मूत्र से 5% , कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ने से 22 %, तथा पसीना निकलने लगभग 70 % शरीर से विजातीय तत्व निकलते हैं । 90. *चिंता , क्रोध , ईष्या करने से गलत हार्मोन्स का निर्माण होता है जिससे कब्ज , बबासीर , अजीर्ण , अपच , रक्तचाप , थायरायड की समस्या उतपन्न होती है ।* 91. *गर्मियों में बेल , गुलकंद , तरबूजा , खरबूजा व सर्दियों में सफ़ेद मूसली , सोंठ का प्रयोग करें ।* 92. *प्रसव* के बाद माँ का पीला दूध बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को 10 गुना बढ़ा देता है । बच्चो को टीके लगाने की आवश्यकता नहीं होती है । 93. *रात को सोते समय* सर्दियों में देशी मधु लगाकर सोयें त्वचा में निखार आएगा । 94. *दुनिया में कोई चीज व्यर्थ नहीं , हमें उपयोग करना आना चाहिए*। 95. *जो अपने दुखों* को दूर करके दूसरों के भी दुःखों को दूर करता है , वही मोक्ष का अधिकारी है । 96. *सोने से* आधे घंटे पूर्व जल का सेवन करने से वायु नियंत्रित होती है , लकवा , हार्ट-अटैक का खतरा कम होता है । 97. *स्नान से पूर्व और भोजन के बाद पेशाब जाने से रक्तचाप नियंत्रित होता है*। 98 . *तेज धूप* में चलने के बाद , शारीरिक श्रम करने के बाद , शौच से आने के तुरंत बाद जल का सेवन निषिद्ध है । 99. *त्रिफला अमृत है* जिससे *वात, पित्त , कफ* तीनो शांत होते हैं । इसके अतिरिक्त भोजन के बाद पान व चूना । देशी गाय का घी , गौ-मूत्र भी त्रिदोष नाशक है । 100. इस विश्व की सबसे मँहगी *दवा। लार* है , जो प्रकृति ने तुम्हें अनमोल दी है ,इसे ना थूके। 〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️

गुरुवार, 10 मार्च 2022

Islam

"भविष्य पुराण "में इस्लाम (मुसलमानों) के बारे में "मोहम्मद "के "जन्म " से भी "5 हज़ार वर्ष "पहले ही श्री वेद व्यास जी ने लिख दिया है!मुझे आश्चर्य है कि इतना "महत्वपूर्ण ग्रन्थ "जिसमें समय से पहले "सटीक" "स्पष्ट" तथा सत्य "भविष्यवाणियां वेद व्यास जी पाँच हजार वर्ष पहले लिख गए वो आज इतने महान तथाकथित संतों व कथाकारों ने अब तक दुनियाँ वालों को क्यूँ नहीं बताया? "लिंड्गच्छेदी शिखाहीनः श्मश्रुधारी सदूषकः !" "उच्चालापी सर्वभक्षी भविष्यति जनोमम !! 25 !!" "विना कौलं च पश्वस्तेषां भक्ष्यामतामम !" "मुसलेनैव संस्कारः कुशैरिव भविष्यति !! 26 !!" "तस्मान्मुसलवन्तो हि जातयो धर्मदूषकाः !" "इति पैशाचधर्मश्च भविष्यति मया कृतः !! 27 !!" (भविष्य पुराण पर्व 3, खण्ड 3, अध्याय 1, अनुवाद--"रेगिस्तान" की धरती पर एक "पिशाच" जन्म लेगा जिसका नाम "मोहम्मद" होगा, वो एक ऐसे "धर्म "की नींव रखेगा, जिसके कारण मानव जाति त्राहि माम कर उठेगी ! वो असुर कुल सभी मानवों को समाप्त करने की चेष्टा करेगा! उस धर्म के लोग अपने लिंग के अग्रभाग को जन्म लेते ही काटेंगे, उनकी शिखा (चोटी ) नहीं होगी, वो दाढ़ी रखेंगे पर मूँछ नहीं रखेंगे। वो बहुत शोर करेंगे और मानव जाति को नाश करने की चेष्टा करेंगे! राक्षस जाति को बढ़ावा देंगे एवं वे अपने को मुसलमान कहेंगे और ये असुर धर्म कालान्तर में हिंसा करते करते स्वतः समाप्त हो जायेंगे ! यदि यह श्लोक और इसका अर्थ सत्य है तो मानना पडे़गा कि कम से कम आज के संदर्भ में यह बिलकुल फिट बैठता है विशेषकर आई एस आई, तालिबान और बोको हराम के संदर्भ में। मुझे आश्चर्य है कि इतना "महत्वपूर्ण ग्रन्थ "जिसमें समय से पहले "सटीक" "स्पष्ट" तथा सत्य "भविष्यवाणियां वेद व्यास जी पाँच हजार वर्ष पहले लिख गए वो आज इतने महान तथाकथित संतों व कथाकारों ने अब तक दुनियाँ वालों को क्यूँ नहीं बताया? निवेदन है कि कम से कम आप इसे और दुनियाँ के सभी लोगों तक पहुँचाने की कृपा कीजिए 🙏*जय श्री कृष्णा*🙏 ऐसे और पोस्ट देखने के लिए और सनातन हिन्दू वाहिनी से जुड़ने के लिए क्लिक करें 👇👇 https:

मंगलवार, 8 मार्च 2022

होली के त्योहार की वैज्ञानिकता

होली का त्यौहार सारणी १. होली का त्यौहार २. होली की रचना का सूक्ष्म-चित्र ३. भावपूर्ण रीतिसे होलिका पूजन करनेसे सूक्ष्म स्तरपर क्या परिणाम होता है ? ४. पूजाविधिके उपरांत होली प्रज्वलित करनेसे होनेवाले परिणाम १. होली का त्यौहार देश-विदेशमें मनाया जानेवाला होलीका त्यौहार रंगोंके साथ उत्साह तथा आनंद लेकर आता है । इसे विभिन्न प्रकारसे ही सही; परंतु बडी धूमधामसे मनाया जाता है । सबका उद्देश्य एक ही होता है, कि आपसी मनमुटावोंको त्यागकर मेलजोल बढे ! २. होली की रचना का सूक्ष्म-चित्र holi २ अ. होली की रचना करते समय वहां उपस्थित व्यक्तियोंद्वारा की गई भावपूर्ण प्रार्थना एवं नामजप के कारण होली में प्रार्थना एवं नामजप का वलय निर्माण होता है । २ आ. होली की रचना भावपूर्ण रीतिसे करने के कारण होली में भाव का वलय निर्माण होता है । २ इ. भावपूर्ण रीतिसे प्रार्थना एवं नामजप करते हुए, ईश्वरीय सेवा समझकर होली की रचना करनेसे प्रार्थना एवं नामजप (कणोंके रूप में) ईश्वर तक पहुंचते है । २ ई. ईश्वरीय चैतन्य का प्रवाह होली में आकृष्ट होता है । २ उ. होली की रचना में निर्माण हुई सात्त्विकता के कारण उस में शक्ति का कार्यरत वलय निर्माण होता है । २ ऊ. इस कार्यरत शक्ति का प्रवाह होली के मध्य में खडे किए गए गन्ने की ऊपरी नोंक तक प्रवाहित होता है और वहां पर इस शक्ति एवं चैतन्य के कार्यरत वलय निर्मित होते हैं । २ ए. होली की रचना में चैतन्य का वलय कार्यरत होता है एवं उस वलय से चैतन्य के कण वातावरण में प्रक्षेपित होते है । २ ऐ. होली से प्रक्षेपित शक्ति एवं चैतन्य के कारण वातावरण में विद्यमान अनिष्ट शक्तियोंको कष्ट होता है और वे होली के मध्य में खडे गन्ने के पत्तोंपर आक्रमण करती हैं । इस आक्रमण के कारण पत्तोंसे काली शक्ति का प्रसारण होता है एवं कष्टदायक स्पंदनोंका प्रक्षेपण होता है । पूजा आरंभ करनेसे अनिष्ट शक्तियां धीरे-धीरे दूर जाने लगती हैं तथा होलीमें अग्नि प्रज्वलित होनेक उपरांत अनिष्ट शक्तियां अस्वस्थ होकर तीव्र गतिसे दूर चली जाती हैं ।

मंगलवार, 1 मार्च 2022

Q. शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है?

Q. शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? Ans. भगवान शिव की पूजा आराधना करने हेतु बसंत ऋतु के फाल्गुनी मास की चतुर्दशी को शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव ने हलाहल विष से दृष्टि की रक्षा की थी तथा कुछ मान्यताओं के अनुसार यह भी बताया जाता है। कि इस दिन भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था। भगवान शिव ने सुंदर नृत्य किया था। जिससे शिव गणों ने प्रत्येक वर्ष भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु मनाना शुरू किया जो आज भी ग्रंथों की मान्यताओं के अनुसार प्रथा को जारी रखा गया है।

शुक्रवार, 10 सितंबर 2021

श्री गणेश चतुर्थी

 














*गणेश चतुर्थी पूजन विधि एवं प्रतिमाओं की स्थापना का शुभ मुहूर्त - 2021*

इस बार गणेश चतुर्थी 10 सितंबर, शुक्रवार को है.  पूजा एवं गणपति स्‍थापना का शुभ मुहर्त दोपहर 12:17 बजे से लेकर रात 10 बजे तक रहेगा.

गाय के गोबर से गणेश जी की शिव लिंग की तरह गणेश की गोलाकार प्रतिमा बनांकर धूप में सुखा लें व उनकी ही स्थापना करें।

या

सुपारी की गणेश प्रतीक प्रतिमा स्थापित कर सकते हैं।

या

मिट्टी व प्राकृतिक रँग व सामान से बनी प्रतिमा उपयोग में लें।

या

धातु की बनी गणेश प्रतिमा स्थापित करें, विसर्जन के दिन जल छिड़कर विदा कर दें और बॉक्स में बन्द कर सुरक्षित रख लें, पुनः अगले साल उस प्रतिमा को धोकर व पॉलिश करके पुनः स्थापित नहला धुलाकर कर लें, विसर्जन के बाद पुनः बॉक्स में सुरक्षित रख लें।

अप्राकृतिक सामान से प्लास्टिक ऑफ पेरिस से बनी गणेश प्रतिमा न खरीदें, जो विसर्जन के बाद जल में घुलती नहीं। प्रदूषण करती है।

आज के दिन के साथ ही दस दिवसीय गणेशोत्सव शुरू हो जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाता है। इसी तिथि पर भगवान गणेश का जन्म हुआ था। गणेश चतुर्थी पर बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता भगवान गणेश की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है


गणेश चतुर्थी के दिन गणपति की पूजा दोपहर के समय करना शुभ माना जाता है, क्योंकि मान्यता है कि भाद्रपद महीने के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को मध्याह्न के समय गणेश जी का जन्म हुआ था। *गणेश चतुर्थी पर मध्याह्न काल में अभिजित मुहूर्त के संयोग पर गणेश भगवान की मूर्ति की स्थापना करना शुभ रहेगा। ।* इसके अलावा पूरे दिन शुभ संयोग होने से सुविधा अनुसार किसी भी शुभ लग्न या चौघड़िया मुहूर्त में गणेश जी की स्थापना कर सकते हैं।


सभी पर्व सामूहिक रूप से मनाये जाते हैं, परन्तु पूजन के लिए किसी प्रतिनिधि को पूजा चौकी के पास बिठाना पड़ता है, इसी परिप्रेक्ष्य में पास बिठाये हुए प्रतिनिधि को षट्कर्म कराया जाए, अन्य उपस्थित परिजनों का सामूहिक सिंचन से भी काम चलाया जा सकता है। फिर सर्वदेव नमस्कार, स्वस्तिवाचन आदि क्रम सामान्य प्रकरण से पूरे कर लिये जाएँ। तत्पश्चात् श्रीगणेश एवं लक्ष्मी के आवाहन- पूजन प्रतिनिधि से कराए जाएँ।


👉🏻॥ *गणेश आवाहन*॥


गणेश जी को विघ्ननाशक और बुद्धि- विवेक का देवता माना गया है।


*ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि।*

*तन्नो दन्ती प्रचोदयात्॥* - गु०गा०

*ॐ विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय,*

*लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय।*

*नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय,*

*गौरीसुताय गणनाथ! नमो नमस्ते॥*

*ॐ श्री गणेशाय नमः॥ आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि।*


👉🏻॥ *दीपयज्ञ से गणेशोत्सव*॥


दीप, ज्ञान के- प्रकाश के प्रतीक हैं। ज्ञान और प्रकाश के वातावरण में ही लक्ष्मी बढ़ती है, फलती- फूलती है। अज्ञान और अन्धकार में वह नष्ट हो जाती है, इसलिए प्रकाश और ज्ञान के प्रतीक साधन दीप जलाये जाते हैं।

एक थाल में कम से कम ५ या ११ घृत- दीप जलाकर उसका निम्न मन्त्र से विधिवत् पूजन करें। तत्पश्चात् गणेश जी के जन्मोत्सव के रूप में जितने चाहें, उतने दीप तेल से जलाकर विभिन्न स्थानों पर रखें।


*ॐ अग्निर्ज्योतिर्ज्योतिरग्निः स्वाहा। सूर्यो ज्योतिर्ज्योतिः सूर्यः स्वाहा। अग्निर्वर्च्चो ज्योतिर्वर्च्चः स्वाहा। सूर्यो वर्च्चो ज्योतिर्वर्च्चः स्वाहा। ज्योतिः सूर्यः सूर्यो ज्योतिः स्वाहा*॥ ३.९


सभी के हाथ मे अक्षत पुष्प देकर नेत्र बन्द कर भावनात्मक आहुति देने को बोलिये।


*गायत्री मन्त्र*- ॐ भूर्भूवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्।


*गणेश गायत्री मन्त्र*- ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ती प्रचोदयात्।


*दुर्गा गायत्री मन्त्र*- गिरिजायै विद्महे शिवप्रियायै धीमहि। तन्नो दुर्गा प्रचोदयात्।


*रुद्र गायत्री मन्त्र*- ॐ पञ्चवक्त्राय विद्महे, महाकालाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्


*चन्द्र गायत्री मन्त्र*- ॐ क्षीरपुत्राय    विद्महे, अमृतत्वाय धीमहि, तन्न: चन्द्र:  प्रचोदयात्।


*महामृत्युंजय मन्त्र*- ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टि वर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।

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*||गणेश जी की आरती||*


जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी। माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी॥


पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा। लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा॥

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥


अन्धे को आँख देत, कोढ़िन को काया। बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥

‘सूर’ श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥


*||शान्तिपाठ||*


ॐ द्यौः शान्तिरन्तरिक्षं शान्तिः

पृथिवी शान्तिरापः शान्तिरोषधयः शान्तिः ।

वनस्पतयः शान्तिर्विश्वेदेवाः शान्तिर्ब्रह्म शान्तिः

सर्वं शान्तिः शान्तिरेव शान्तिः सा मा शान्तिरेधि ॥

ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥


🙏🏻श्री प्रज्ञा केंद्र अमरावती घाट 

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