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गुरुवार, 7 जुलाई 2022

योग: वह सब कुछ जो आपको जानना आवश्यक है

योग एक प्रकार का व्यायाम है जिसमें शारीरिक मुद्राएं और सांस लेने के व्यायाम शामिल हैं। बहुत से लोग योग का अभ्यास अपने व्यायाम के रूप में करना पसंद करते हैं क्योंकि इससे उन्हें स्वस्थ होने की अनुभूति होती है और इसके शारीरिक लाभ भी होते हैं। कुछ शारीरिक लाभों में लचीलापन, शक्ति, मुद्रा और संतुलन में वृद्धि शामिल है। योग के आपके लिए बहुत सारे लाभ हैं और शुरुआत करने का एक अच्छा तरीका एक अच्छी योग डीवीडी प्राप्त करना है। बहुत सारी सकारात्मक समीक्षाएं मिलेंगी और योग से कई शारीरिक लाभ प्राप्त होंगे। मुझे पता है कि यह आपको बहुत बड़ी बात लगती है लेकिन मैं आपको आगे बढ़ने और कुछ योग करने के लिए प्रोत्साहित करूंगा क्योंकि इसमें शामिल होने के कई फायदे हैं। आप प्रेरित हो सकते हैं और लंबे समय तक केंद्रित रह सकते हैं, आप अपना आत्म-सम्मान बढ़ा सकते हैं, और आप मांसपेशियों का निर्माण भी कर सकते हैं। यह आपको वजन कम करने में भी मदद कर सकता है। योग की सही तकनीक के लिए योग आपको उच्च शिक्षा प्राप्त योगगुरु से सीखना चाहिए ! ::योगाचार्य सुनील नाडेकर

शुक्रवार, 22 अप्रैल 2022

गायत्री साधना के विलक्षण प्रभाव

अखण्ड ज्योति से सादर✍️ ‼️गायत्री साधना के विलक्षण प्रभाव‼️ *********** गायत्री महामंत्र के विलक्षण प्रभाव एवं अद्भूत चमत्कारों के विषय में प्राचीन ऋषि-मुनियों एवं सिद्ध-साधकों ने जगह-जगह पर महत्त्वपूर्ण उद्गार व्यक्त किए हैं। उच्च कोटि के सिद्ध-संतों एवं मूर्धन्य आध्यात्मिक विज्ञानवेत्ताओं ने भी इस महामंत्र के अद्भूत प्रभावों की मुक्त कंठ से प्रशंसा की है। थियोसोफिकल सोसाइटी के विद्वान, श्री जे. कृष्णमूर्ति ने गायत्री-उपासना से संबंधित उनके अनुभवों का वर्णन करते हुए लिखा है कि विशेष रूप से गायत्री महामंत्र के प्रयोग ने उनके जीवन में विलक्षण परिणामों एवं प्रभावों को जन्म दिया। उनके अनुसार इस मंत्र का उपयोग स्वार्थ के लिए न करके परमार्थ के लिए किया जाना चाहिए। वे लिखते हैं कि गायत्री महामंत्र का जहाँ भावभरा उच्चारण हो रहा होता है, देवता भी वहाँ सहायता करने के लिए पहुँच जाते हैं। गायत्री महामंत्र वस्तुतः सविता देवता के, सूर्य देवता के आवाहन का मंत्र है। जब इस मंत्र का उच्चारण किया जाता है, तब जपकर्ता पर स्थूल सूर्य में से प्रकाश के एक सशक्त रश्मिसमूह का अवतरण होता है। जप के समय, प्रार्थना के समय - सूर्य चाहे उदय हो रहे हों, चाहे मध्याह्न का समय हो या फिर संध्या के समय वे अस्ताचलगामी हों, सविता की, सूर्य की शक्तिकिरणें जप करने वाले पर अवश्य पड़ती हैं। रात्रि के समय तो यह किरणपुंज पृथ्वी की सतह को भेदकर आता है। विद्वानों का कहना है कि यह प्रकाश श्वेतवर्ण का एवं कुछ सुनहलापन लिए हुए होता है। जब उसके द्वारा जप करने वाले का हृदय भर उठता है, तब उसमें से इंद्रधनुष जैसी सतरंगी किरण बाहर निकलती है और जो कोई भी जपकर्ता के सम्मुख होता है, उस पर शुभ प्रभाव डालती हैं। यह प्रभाव केवल जपकर्ता के हृदय से ही बाहर नहीं निकलता, वरन उसके आभामंडल में से भी अर्द्धचंद्राकार रूप में प्रकट होता है। हृदय एवं मस्तिष्क से निकलने पर ये किरणें सामने खडे़ व्यक्ति के इन दोनों अंगों को प्रभावित करके संबंधित चक्रों को जाग्रत करती हैं। प्रत्येक किरण एक ही नहीं, वरन अनेक मनुष्यों पर अपना प्रभाव डालती हैं। सूक्ष्मदर्शी अध्यात्मवेत्ताओं के अनुसार, यदि सामान्य व्यक्ति का प्रभामंडल उसकी काया के बाहर डेढ़ फीट तक बाहर निकलता हो तो उसके नीचे का भाग, नौ फीट लंबे और पाँच फीट चौडे़ क्षेत्र में फैल जाता है। जिस व्यक्ति का साधना-उपासना द्वारा विशेष रूप से आतंरिक विकास और परिष्कार हो जाता है, उस का प्रभामंडल लगभग सत्रह-अठारह फीट तक पहुँच और फैल सकता है और जब उसका आधा भाग वृत्ताकार बनता है, तो दूर-दूर के व्यक्तियों को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। यह प्रभा - मस्तिष्क से जितनी ऊपर जाती है, लगभग उतनी ही दूर यह, पैरों के नीचे पृथ्वी के भीतर भी पहुँचती है। गायत्री महामंत्र का जप करने वाले साधक का प्रभामंडल जितना अधिक विस्तृत होता है, वह उतना ही प्रभाव डालने वाला भी होता है। सामूहिक रूप से जब मंत्रोच्चारण किया जाता है तो उसका प्रभाव और भी विस्तृत हो जाता है और पृथ्वी के बहुत बडे़ क्षेत्र के मनुष्यों को सूर्यगुच्छ {सोलर फ्लेअर} की भाँति प्रभावित करता है। अध्यात्म विद्याविशारदों ने विविध प्रयोगों के माध्यम से इसकी सत्यता की पुष्टि भी कर दी। 🌹🙏🌹🙏 ---अखण्ड ज्योति : जुलाई, २०१७ से साभार!

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