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बुधवार, 24 जनवरी 2024

बाबर की छठवी ने मांगी माफ़ी




बाबर परिवार की छठी पीढ़ी के वंशजों ने अपने पूर्वजों द्वारा राम मंदिर तोड़े जाने पर सभी हिंदुओं से माफ़ी मांगी है और पश्चाताप व्यक्त किया है!  जय श्रीराम 🙏🏿🚩🚩🚩


मंगलवार, 16 जनवरी 2024

शाकाहारी बने



मांस (Meat) का मूल्य 🤬


मगध सम्राट बिन्दुसार ने एक बार अपनी सभा मे पूछा…


देश की खाद्य समस्या को सुलझाने के लिए,


सबसे सस्ती वस्तु क्या है ???


मंत्री परिषद् तथा अन्य सदस्य सोच में पड़ गये! चावल, गेहूं, ज्वार, बाजरा आदि तो बहुत श्रम के बाद मिलते हैं और वह भी तब, जब प्रकृति का प्रकोप न हो, ऐसी हालत में अन्न तो सस्ता हो ही नहीं सकता।


तब शिकार का शौक पालने वाले एक सामंत ने कहा :

हे राजन!


सबसे सस्ता खाद्य पदार्थ मांस (Meat) है।


इसे पाने मे मेहनत कम लगती है और पौष्टिक वस्तु खाने को मिल जाती है। सभी ने इस बात का समर्थन किया, लेकिन प्रधान मंत्री चाणक्य चुप थे। 


तब सम्राट ने उनसे पूछा : 

आपका इस बारे में क्या मत है? 


चाणक्य ने कहा : राजन, मैं अपने विचार कल आपके समक्ष रखूंगा…


रात होने पर प्रधानमंत्री उस सामंत के महल पहुंचे, सामंत ने द्वार खोला, इतनी रात को गये प्रधानमंत्री को देखकर घबरा गया।


प्रधानमंत्री ने कहा : 

शाम को महाराज एकाएक बीमार हो गये हैं, राजवैद्य ने कहा है कि किसी बड़े आदमी के हृदय का दो तोला मांस मिल जाए तो राजा के प्राण बच सकते हैं, इसलिए मैं आपके पास आपके हृदय ❤️ का सिर्फ दो तोला मांस लेने आया हूं। इसके लिए आप एक लाख स्वर्ण मुद्रायें ले लें।


यह सुनते ही सामंत के चेहरे का रंग उड़ गया, उसने प्रधानमंत्री के पैर पकड़ कर माफ़ी मांगी।


और उल्टे एक लाख स्वर्ण मुद्रायें देकर कहा कि इस धन से वह किसी और सामन्त के हृदय का मांस खरीद लें।


प्रधानमंत्री बारी-बारी सभी सामंतों, सेनाधिकारियों के यहां पहुंचे और 


सभी से उनके हृदय का दो तोला मांस मांगा, लेकिन कोई भी राजी न हुआ, उल्टे सभी ने अपने बचाव के लिये प्रधानमंत्री को एक लाख, दो लाख, पांच लाख तक स्वर्ण मुद्रायें दे दी।


इस प्रकार करीब दो करोड़ स्वर्ण मुद्राओं का संग्रह कर प्रधानमंत्री सवेरा होने से पहले वापस अपने महल पहुंचे और समय पर राजसभा में प्रधानमंत्री ने राजा के समक्ष दो करोड़ स्वर्ण मुद्रायें रख दी। 


सम्राट ने पूछा :  

यह सब क्या है ?


तब प्रधानमंत्री ने बताया कि दो तोला मांस खरीदने के लिए इतनी धनराशि इकट्ठी हो गई फिर भी दो तोला मांस नही मिला।


राजन ! अब आप स्वयं विचार करें कि मांस कितना सस्ता है?


जीवन अमूल्य है, हम यह न भूलें कि जिस तरह हमें अपनी जान प्यारी है, उसी तरह सभी जीवों को भी अपनी जान उतनी ही प्यारी है। लेकिन वो अपनी जान बचाने में असमर्थ हैं।


और मनुष्य अपने प्राण बचाने हेतु हर सम्भव प्रयास कर सकता है। बोलकर, रिझाकर, डराकर, रिश्वत देकर आदि आदि । 


पशु न तो बोल सकते हैं, न ही अपनी व्यथा बता सकते हैं। 


तो क्या बस इसी कारण उनसे जीने का अधिकार छीन लिया जाए?


शुद्ध आहार, शाकाहार..

मानव आहार, शाकाहार.. ❤️❤️


आज ही मांस खाना छोडें 🙏


अगर ये लेख आपको अच्छा लगे तो हर व्यक्ति तक जरुर भेजें।


आपका धन्यवाद…



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प्रभु श्रीराम की वंशावली

प्रभु श्रीराम की वंशावली 

🚩🚩 जय श्री राम 🚩🚩

यह है प्रभु श्री राम की वंशावली……

1 – ब्रह्मा जी से मरीचि हुए,

2 – मरीचि के पुत्र कश्यप हुए,

3 – कश्यप के पुत्र विवस्वान थे,

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4 – विवस्वान के वैवस्वत मनु हुए.वैवस्वत मनु के समय जल प्रलय हुआ था,

5 – वैवस्वतमनु के दस पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु था, इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुलकी स्थापना की |

6 – इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि हुए,

7 – कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि था,

8 – विकुक्षि के पुत्र बाण हुए,

9 – बाण के पुत्र अनरण्य हुए,

10- अनरण्य से पृथु हुए,

11- पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ,

12- त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार हुए,

13- धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था,

14- युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए,

15- मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ,

16- सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित,

17- ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए,

18- भरत के पुत्र असित हुए,

19- असित के पुत्र सगर हुए,

20- सगर के पुत्र का नाम असमंज था,

21- असमंज के पुत्र अंशुमान हुए,

22- अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए,

23- दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए, भागीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर उतारा था.भागीरथ के पुत्र ककुत्स्थ थे |

24- ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए, रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघुवंश हो गया, तब से श्री राम के कुल को रघु कुल भी कहा जाता है |

25- रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए,

26- प्रवृद्ध के पुत्र शंखण थे,

27- शंखण के पुत्र सुदर्शन हुए,

28- सुदर्शन के पुत्र का नाम अग्निवर्ण था,

29- अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग हुए,

30- शीघ्रग के पुत्र मरु हुए,

31- मरु के पुत्र प्रशुश्रुक थे,

32- प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष हुए,

33- अम्बरीष के पुत्र का नाम नहुष था,

34- नहुष के पुत्र ययाति हुए,

35- ययाति के पुत्र नाभाग हुए,

36- नाभाग के पुत्र का नाम अज था,

37- अज के पुत्र दशरथ हुए,

38- दशरथ के चार पुत्र राम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न हुए |

इस प्रकार ब्रह्मा की उन्चालिसवी (39) पीढ़ी में श्रीराम का जन्म हुआ |

नोट : -अपने बच्चों को बार बार पढ़वाये और स्वयं भी जानकारी रखे धर्म को जानना हमरा कर्तव्य है।🙏💞🙏


सोमवार, 15 जनवरी 2024

प्राण प्रतिष्ठा मुहूर्त भ्रम ऐसे होगा दूर




राममंदिर और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 22 जनवरी का मुहूर्त सर्वोत्तम है। जब भी पहले आनन-फानन मुहूर्त दिया गया, उसमें कुछ कमी थी, इसी कारण मंदिर तोड़े गए।

इसलिए सभी बातों को ध्यान में रखकर 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त दिया गया है। इसमें लग्नस्थ गुरु की दृष्टि पंचम, सप्तम एवं नवम भाव पर होने से मुहूर्त उत्तम है। मकर का सूर्य होने के कारण पौषमास का दोष समाप्त हो जाता है।

श्री गीर्वाणवाग्वर्धिनी सभा ने कहा कि देशभर से आए सवालों का 25 बिंदुओं में समाधान किया गया है। कोई भी धार्मिक विवाद होने पर इसी सभा का निर्णय अंतिम होता है। शिलान्यास व लोकार्पण का मुहूर्त देने वाले पं. गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ इस सभा के परीक्षाधिकारी मंत्री भी हैं। उनका कहना है कि देवमंदिर की प्रतिष्ठा दो तरह से होती है। एक संपूर्ण मंदिर बनने पर। दूसरा मंदिर में कुछ काम शेष रहने पर भी।


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Ram Mandir: प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त सर्वोत्तम... हर तारीख और दोष पर विचार के बाद तय हुई 22 जनवरी

अमर उजाला नेटवर्क, अयोध्या Published by: शाहरुख खान Updated Sun, 14 Jan 2024 09:12 AM IST
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सार

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा व मंदिर के लोकार्पण पर विवाद के बीच श्री गीर्वाणवाग्वर्धिनी सभा ने कहा कि इसमें कोई दोष नहीं है। प्राण प्रतिष्ठा पूरी तरह दोष रहित है। 22 जनवरी का मुहूर्त सर्वोत्तम है, क्योंकि 2026 तक प्राण प्रतिष्ठा और लोकार्पण का शुभ मुहूर्त नहीं मिल रहा था। 
Ayodhya Ram Mandir Best Auspicious Time For Pran Pratishtha After considering every date and defect 22 January
Ram Mandir - फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
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राममंदिर और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 22 जनवरी का मुहूर्त सर्वोत्तम है। जब भी पहले आनन-फानन मुहूर्त दिया गया, उसमें कुछ कमी थी, इसी कारण मंदिर तोड़े गए। 


इसलिए सभी बातों को ध्यान में रखकर 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त दिया गया है। इसमें लग्नस्थ गुरु की दृष्टि पंचम, सप्तम एवं नवम भाव पर होने से मुहूर्त उत्तम है। मकर का सूर्य होने के कारण पौषमास का दोष समाप्त हो जाता है।


श्री गीर्वाणवाग्वर्धिनी सभा ने कहा कि देशभर से आए सवालों का 25 बिंदुओं में समाधान किया गया है। कोई भी धार्मिक विवाद होने पर इसी सभा का निर्णय अंतिम होता है। शिलान्यास व लोकार्पण का मुहूर्त देने वाले पं. गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ इस सभा के परीक्षाधिकारी मंत्री भी हैं। उनका कहना है कि देवमंदिर की प्रतिष्ठा दो तरह से होती है। एक संपूर्ण मंदिर बनने पर। दूसरा मंदिर में कुछ काम शेष रहने पर भी। 

संपूर्ण मंदिर बन जाने पर गर्भगृह में देव प्रतिष्ठा होने के बाद मंदिर के ऊपर कलश प्रतिष्ठा संन्यासी करते हैं। गृहस्थ द्वारा कलश प्रतिष्ठा होने पर वंशक्षय होता है। मंदिर का पूर्ण निर्माण हो जाने पर प्रतिष्ठा के साथ मंदिर के ऊपर कलश प्रतिष्ठा होती है। जहां मंदिर पूर्ण नहीं बना रहता है, वहां देव प्रतिष्ठा के बाद मंदिर का पूर्ण निर्माण होने पर किसी शुभ दिन में उत्तम मुहूर्त में मंदिर के ऊपर कलश प्रतिष्ठा होती है।  

गीर्वाणवाग्वर्धिनी सभा ने देशभर से आए सवालों पर यह दिया जवाब
  • 22 जनवरी से विजयादशमी के दिन तक गुणवत्तर लग्न नहीं मिलता। गुरु वक्री होने के कारण दुर्बल हैं।
  • बलि प्रतिपदा को मंगलवार है। इस तिथि में गृह प्रवेश निषिद्ध है। अनुराधा नक्षत्र में घटचक्र की शुद्धि नहीं है। अग्निबाण होने से मंदिर में मूर्तिप्रतिष्ठा होने पर आग से हानि की आशंका है।
  • 25 को मृत्युबाण है। इसमें प्रतिष्ठा से लोगों की मृत्यु होती है।
  •  माघ व फाल्गुन में बाण शुद्धि नहीं मिलती तो कहीं पक्षशुद्धि नहीं मिलती तथा कहीं तिथि की शुद्धि नहीं मिलती है। माघ शुक्ल में गुरु उच्चांश का नहीं है।
  • 14 मार्च से खरमास है। इस काल में शुभ कार्य नहीं होते हैं।
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