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सोमवार, 17 जुलाई 2023

नामकरण संस्कार महत्व

 

अधिक मास में क्या नहीं करें

1- अधिकमास में नामकरण, श्राद्ध, तिलक, मुंडन, कर्णछेदन, गृह प्रवेश, संन्यास, यज्ञ, दीक्षा लेना, देव प्रतिष्ठा, विवाह आदि शुभ व मांगलिक कार्यों को करना वर्जित बताया गया है। क्योंकि इस अवधि में भगवान शयन कर चुके होते हैं। इसलिए मलमास में ये कार्य करना वर्जित होता है।

अब आईए जानते है नामकरण का महत्व -

अमावस्या, चतुर्दशी और अष्टमी तिथि पर ये संस्कार नहीं किया जाता है. आयुर्वेडभिवृद्धिश्च सिद्धिर्व्यवहतेस्तथा। नामकर्मफलं त्वेतत् समुद्दिष्टं मनीषिभिः।। इस श्लोक में नामकरण संस्कार के महत्व का वर्णन करते हुआ बताया गया है कि इस संस्कार का असर बच्चे के व्यक्तिव पर पड़ता है.

नामकरण संस्कार का शुभ मुहूर्त

इसके अलावा बच्चे के जन्म से 11वें या 12वें दिन जब भी सोमवार, बुधवार या शुक्रवार का दिन हो और तारीख 1, 2, 3, 5, 7, 10, 11, 12, 13 आ रही हो तो ये दिन नामकरण संस्कार के लिए शुभ होता है.

जन्म से 11वें दिन, 101वें दिन या एक वर्ष हो जाने पर नामकरण संस्कार करें। ।। ॐ श्रीं (अमुक) वेदोअसि वेदो भूया: ॐ नम:।।


सोमवार, गुरुवार और शुक्रवार के दिन नामकरण संस्कार करना शुभ माना जाता है। लेकिन अमावस्या, चतुर्थी या अष्टमी तिथि के दिन नामकरण संस्कार करना शुभ नहीं माना जाता


नामकरण संस्कार का महत्व (Namkaran Sanskar Significance)


आयुर्वेडभिवृद्धिश्च सिद्धिर्व्यवहतेस्तथा। नामकर्मफलं त्वेतत् समुद्दिष्टं मनीषिभिः।। इस श्लोक में नामकरण संस्कार के महत्व का वर्णन करते हुआ बताया गया है कि इस संस्कार का असर बच्चे के व्यक्तिव पर पड़ता है. उसका नाम ही उसके अस्तित्व की पहचान है.  अपने नाम, आचरण, कर्म से बच्चा प्रसिद्धि प्राप्त करता है. इससे उसके आयु और तेज में वृद्धि होती है.

बच्चे के नाम का अर्थ उसके चरित्र को प्रभावित करता है. अगर बच्चे का नाम उसके ग्रहों की स्थिति से मेल न खाएं तो वह बच्चों के लिए दुर्भाग्य लेकर आ सकता है, इसलिए सोच-समझकर ही बच्चे के नाम का चुनाव करें.

नामकरण संस्कार की विधि (Namkaran Sanskar Vidhi)



  • नामकरण के दिन बच्चे के जन्म के नक्षत्रों, ग्रहों की दिशा, तिथि समय जैसी कई महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखकर उसकी कुंडली बनाई जाती है. इसी कुंडली के आधार पर बच्चे की चंद्र राशि के आधार पर राशि के पहले अक्षर से बच्चे का नाम रख देते हैं.

  • नामकरण के दिन पूजा मंगलाचरण, षट्कर्म, संकल्प, यज्ञोपवीत परिवर्तन, कलावा, तिलक और रक्षा विधान पूरा किया जाता है.

  • पूजा में गंगाजल से भरे कलश की पूजा की जाती है, बच्चे के कमर पर मेखला बांधी जाती है. बच्चे के माता-पिता या बुआ उसके कान में नाम बोलते हैं.

  • नामकरण के दिन इस मंत्र से हवन में आहूति दी जाती है - ॐ भूर्भुवरू स्वः। अग्निऋषि पवमानः पांचजन्यः पुरोहितः। तमीमहे महागयं स्वाहा। इदम् अग्नये पवमानाय इदं न मम॥




शनिवार, 3 जून 2023

बागेश्वर धाम Bageshwer Dham

 


मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के ग्राम गढ़ा में स्थित “बागेश्वर धाम”, जो स्वंयभू हनुमान जी की दिव्यता के लिए देश – विदेश में प्रसिद्ध है। कई तपस्वियों की दिव्य भूमि है बागेश्वर धाम, जहां लोगों को बालाजी महाराज की कृपा और आशीर्वाद दर्शन मात्र से ही मिल जाते हैं। यहां बालाजी महाराज एक अर्जी के माध्यम से सुनते हैं आपकी समस्या और धाम के पीठाधीश्वर पूज्य धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी महाराज, जिसे दुनिया बागेश्वर धाम सरकार के नाम से संबोधित करती है, के माध्यम से समाधान करवाते हैं।

धाम या फिर धाम में लगने वाले पूज्य गुरुदेव के दिव्य दरबार के बारे में जानकारी या फिर बागेश्वर धाम सरकार के आगामी कार्यक्रम की जानकारी हासिल करने के लिए धाम के कॉन्टेक्ट नंबर पर बात करके भी हासिल कर सकते हैं।

बागेश्वर धाम का कॉन्टेक्ट नंबर है – 8982862921 / 8120592371

जय बालाजी महाराज…जय बागेश्वर धाम….

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मंगलवार, 25 अप्रैल 2023

मंगलवार, 11 अप्रैल 2023

Chaitra chunar yatra


 : माँ अम्बा देवी संस्थान अमरावती घाट जिला बेतुल में स्थित है और प्रतिवर्ष यहाँ पर चूनर यात्रा माँ अंबे के श्रद्धालु भक्त निकलते हैं। मेला लगता है दूर-दूर से गांव के लोग यहाँ पर आकर माताजी के दर्शनों को पाकर अपने दुखदे दूर करते हैं। माँ अपने भक्तों के अच्छे संकल्पों को जरूर पूरा करती हैं। यहाँ पर नवनिर्मित मंदिर दर्शनीय बन चुका है।

           यहाँ अमरावती घाट में समस्त ग्रामवासियों की श्रद्धा और संगठन देखते ही बनता है। यहाँ पर कोई भी धार्मिक आयोजन हो तो सरकारी समूह की बहनें और सभी रामायण व भजन मंडल मिलकर चंदा जमा करके आयोजन को पूर्णता की ओर ले जाते हैं।

 माँ अम्बा देवी मंदिर की प्रतिमा स्वप्रकट्य है और जागृत शक्तिपीठ जैसा आभामंडल यहाँ विनिर्मित हुआ है। माँ अम्बा देवी संस्थान के समिति के सक्रिय सदस्य हमेशा ग्रामवासियों की श्रद्धा को ध्यान में रखते हुए नित नए साधन सुविधाएं व्यवस्था जुटाने में लगे रहते हैं।2-3 वर्ष से प्रतिवर्ष ग्राम अमरावती घाट में भव्य चुनर यात्रा पूरे मुलताई क्षेत्र में दर्शनीय स्थल चैत्र की शोभा बढ़ाता है। यहाँ पर चुनर यात्रा की शुरुआत ग्राम के युवा साथियों के सहयोग से श्री हर्षल चरपे जी के मार्गदर्शन और अन्य वरिष्ठों के मार्गदर्शन समस्त ग्रामवासियों के सहयोग से हुई थी। अब इस बार प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भव्य चुनर यात्रा महाकाल की झांकियां, माँ अम्बे की झांकी रथ पर सवार अन्य देवताओं की झांकियों को देखते ही नजारा यैसा प्रतीत होता है जैसे देवता धरती पर उतरे हुए हैं। यहाँ 4 अप्रैल से रोज भागवत कथा चल रही है, व्यसन मुक्ति की प्रदर्शनी गायत्री परिवार के द्वारा लगाई गई है।



सोमवार, 24 अक्तूबर 2022

Surya Graham 2022

 

जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीध में होते हैं और सूर्य तथा पृथ्वी के बीच चंद्रमा आ जाता है तो सूर्य ग्रहण होता है. साल 2022 का दूसरा सूर्य ग्रहण भारतीय समानुसार 25 अक्टूबर को दोपहर बाद 02 बजकर 29 मिनट से शुरू होकर शाम 06 बजकर 32 मिनट तक रहेगा. यह सूर्य ग्रहण 04 घंटे 3 मिनट की अवधि का है.

दिवाली और सूर्य ग्रहण का क्या है मामला? (Diwali and surya grahan timing)
दिवाली का त्योहार कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है. इस साल कार्तिक अमावस्या 24 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 27 मिनट से शुरू होगी और 25 अक्टूबर को शाम 4 बजकर 18 मिनट तक रहेगी. 25 अक्टूबर को ही साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगेगा. इसलिए दीपावली का त्योहार सूतक काल से पहले मना लेना ही उचित है.

सूतक सूर्यग्रहण से 12 घंटे पहले लगता है। भारत में सूर्य ग्रहण का आरंभ शाम 04:22 से होगया, ऐसे में यहां सूतक 25 अक्तूबर को ही सुबह 04:22 मिनट से लागू हो जाएंगे। यानि दिवाली की अगली सुबह ही सूतक काल लगेगा। सूतक के दौरान कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है। आइए जानते हैं क्या हैं वो जरूरी नियम। 

सूतक काल में न ही भोजन बनाया जाता है और न ही ग्रहण किया जाता। हालांकि बीमार, वृद्ध और गर्भवती महिलाओं के लिए इस तरह के नियम लागू नहीं हैं। यदि भोजन पहले से बना रखा है तो उसमें तुलसी का पत्ता तोड़कर डाल दें। दूध और इससे बनी चीजों, पानी में भी तुलसी का पत्ता डालें।

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