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सोमवार, 18 जुलाई 2022

हर कोई करता है योग जाने कैसे ?

 


योग अनादि अनंत है योग ऋषियों के काल से सभी जन सामान्य के लिए अमोघ उपचार है जीवन जीने की कला है स्वास्थय रक्षक है व्यावहारिक ज्ञान है !

योग के मुख्य चार प्रकार होत हैं। राज योग, कर्म योग, भक्ति योग और ज्ञान योग। कर्म योग के अनुसार हर कोई योग करता है। 
*राज योग* : राज योग यानी राजसी योग। इसमें ध्यान महत्वपूर्ण है। इसके आठ अंग हैं। इनमें यम (शपथ), नियम (आचरण-अनुशासन), आसन (मुद्राएं), प्राणायाम (श्वास नियंत्रण), प्रत्याहार (इंद्रियों का नियंत्रण), धारण (एकाग्रता), ध्यान (मेडिटेशन) और समाधि (परमानंद या अंतिम मुक्ति)। 
*कर्म योग* : हर कोई इस योग को करता है। कर्म योग ही सेवा का मार्ग है। कर्म योग का सिद्धांत है कि जो आज अनुभव करते हैं वह हमारे कार्यों से भूतकाल में बदलता जाता है। जागरूक होने से हम वर्तमान से अच्छा भविष्य बना सकते हैं। स्वार्थ और नकारात्मकता से दूर होते हैं। 
भक्ति योग : भक्ति का मार्ग से सभी की स्वीकार्यता और सहिष्णुता पैदा होता है। इसमें भक्ति के मार्ग का वर्णन है। सभी के लिए सृष्टि में परमात्मा को देखकर, भक्ति योग भावनाओं को नियंत्रित करने का एक सकारात्मक तरीका है। 
ज्ञान योग : अगर भक्ति को मन का योग मानें तो ज्ञान योग बुद्धि का योग है। यह ऋ षि या विद्वानों का रास्ता है। इसमें ग्रंथों और ग्रंथों के अध्ययन के माध्यम से बुद्धि के विकास की आवश्यकता होती है। ज्ञान योग को सबसे कठिन माना जाता है और साथ ही साथ सबसे प्रत्यक्ष होता है।
योग के चार प्रकार व आठ अंग होते हैं, हर कोई करता है योग जानें कैसे

रविवार, 17 जुलाई 2022

गुरु की महत्ता

 Happy Guru Purnima…🙏



*शिक्षक को ज्यादा पगार क्यों होती है?*और क्यों होनी चाहिए।

*जवाब* 


*पिकासो (Picasso) स्पेन में जन्मे एक अति प्रसिद्ध चित्रकार थे। उनकी पेंटिंग्स दुनिया भर में करोड़ों और अरबों रुपयों में बिका करती थीं...!!*


*एक दिन रास्ते से गुजरते समय एक महिला की नजर पिकासो पर पड़ी और संयोग से उस महिला ने उन्हें पहचान लिया। वह दौड़ी हुई उनके पास आयी और बोली, 'सर, मैं आपकी बहुत बड़ी फैन हूँ। आपकी पेंटिंग्स मुझे बहुत ज्यादा पसंद हैं। क्या आप मेरे लिए भी एक पेंटिंग बनायेंगे...!!?'*


*पिकासो हँसते हुए बोले, 'मैं यहाँ खाली हाथ हूँ। मेरे पास कुछ भी नहीं है। मैं फिर कभी आपके लिए एक पेंटिंग बना दूंगा..!!'*


*लेकिन उस महिला ने भी जिद पकड़ ली, 'मुझे अभी एक पेंटिंग बना दीजिये, बाद में पता नहीं मैं आपसे मिल पाऊँगी या नहीं।'*


*पिकासो ने जेब से एक छोटा सा कागज निकाला और अपने पेन से उसपर कुछ बनाने लगे। करीब 10 मिनट के अंदर पिकासो ने पेंटिंग बनायीं और कहा, 'यह लो, यह मिलियन डॉलर की पेंटिंग है।'*


*महिला को बड़ा अजीब लगा कि पिकासो ने बस 10 मिनट में जल्दी से एक काम चलाऊ पेंटिंग बना दी है और बोल रहे हैं कि मिलियन डॉलर की पेंटिग है। उसने वह पेंटिंग ली और बिना कुछ बोले अपने घर आ गयी..!!*


*उसे लगा पिकासो उसको पागल बना रहा है। वह बाजार गयी और उस पेंटिंग की कीमत पता की। उसे बड़ा आश्चर्य हुआ कि वह पेंटिंग वास्तव में मिलियन डॉलर की थी...!!*


*वह भागी-भागी एक बार फिर पिकासो के पास आयी और बोली, 'सर आपने बिलकुल सही कहा था। यह तो मिलियन डॉलर की ही पेंटिंग है।'*


*पिकासो ने हँसते हुए कहा,'मैंने तो आपसे पहले ही कहा था।'*


*वह महिला बोली, 'सर, आप मुझे अपनी स्टूडेंट बना लीजिये और मुझे भी पेंटिंग बनानी सिखा दीजिये। जैसे आपने 10 मिनट में मिलियन डॉलर की पेंटिंग बना दी, वैसे ही मैं भी 10 मिनट में न सही, 10 घंटे में ही अच्छी पेंटिंग बना सकूँ, मुझे ऐसा बना दीजिये।'*


*पिकासो ने हँसते हुए कहा,'यह* *पेंटिंग, जो मैंने 10 मिनट में बनायी  है इसे सीखने में मुझे 30 साल का समय लगा है।*मैंने अपने जीवन के 30 साल सीखने में दिए हैं ..!!*


*तुम भी दो, सीख जाओगी..!*


*वह महिला अवाक् और निःशब्द होकर पिकासो को देखती रह गयी...!!*


*एक अध्यापक को 40 मिनट के लेक्चर की जो तनख्वाह दी जाती है।*वो इस कहानी को बयां करती है। एक अध्यापक के एक वाक्य के पीछे*उसकी सालों की मेहनत होती है।*समाज समझता है कि बस बोलना ही तो होता है अध्यापक को मुफ्त की नौकरी है!*

*"ये मत भूलिए कि आज विश्व मे जितने भी सम्मानित पदों पर लोग आसीन हैं, उनमें से अधिकांश किसी न किसी अध्यापक की वजह से ही पहुँचे हैं।

  🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

लेखक: अज्ञात 


गुरुवार, 14 जुलाई 2022

शिवलिंग से जुडी मान्यता

 


शिवलिंग में अत्यंत ऊर्जा होती है जो जलहरी में प्रवाहित होती है। इसलिए जलहरी को लांगने से शारीरिक रोग हो सकते हैं। लेकिन किसी विशेष परिस्थिति में यदि जलहरी ढकी हुई होती है तो इसे लांघकर पूरी परिक्रमा भी की जा सकती है। इस स्थिति में पूर्ण परिक्रमा करने से दोष नहीं लगता है।

उपर्युक्त सभी बातों को ध्यान में रखकर शिवलिंग की परिक्रमा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इसलिए शिवलिंग की पूजा के समय इन बातों का विशेष ध्यान रखें।


गुरु की याद में वृक्षारोपण

 GURU KI YAAD ME Vraksharopan



शमी का पेड़ गुरु पूर्णिमा  के उपलक्ष पर आयुष हेल्थ वेलनेस सेण्टर पर आध्यात्मिक गुरु आचार्य पं.श्रीराम शर्मा की याद में साईखेड़ा थाना में लगाया -१३ जुलाई २०२२ 

योगाचार्य पं.सुनील नाडेकर 




बुधवार, 13 जुलाई 2022

Guru Purnima Par Vaigyaniko ki lekhni

* गुरु पूर्णिमा पर वैज्ञानिको की लेखनी *



यह पर्व प्रमुख रूप से हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है हालाँकि जैन-बुद्ध धर्मों में भी इसे काफ़ी उत्साह के साथ मनाया जाता है | इस दिन गुरुओं को विशेष रूप से याद किया जाता है, उनकी पूजा अर्चना की जाती है और गुरु दक्षिणा के रूप में जीवन पथ पर सतत सफलताओं के लिए आशिर्वाद लिया जाता है |

पूजा पद्धति के रूप में इस दिन गुरुओं को फूल-माला अर्पित कर गरीबों, दीन-दुखियों, पशु-पक्षियों व जीवों को अन्न आदि देकर उनका कल्याण किया जाता है |

उधर सनातन संस्कृति की जो विशेषताएं होती हैं उनके अनुसार हरेक पर्व के कुछ न कुछ वैदिक-वैज्ञानिक महत्व भी होते हैं वो इस पर्व में भी हैं |

वैज्ञानिक महत्व की ओर दृष्टि डालें तो पता चलता है कि हिंदू पंचांग के आषाढ़ मास की पाक्षिक अवधि के बाद इस दिन चंद्रमा पूरा दिखता है जिसे विज्ञान में ‘हे मून’, ‘मीड मून’, ‘थंडर मून’, ‘बक मून के साथ ही साथ “गुरु पूर्णिमा” कहा जाता है |

इसके वैज्ञानिक व वैदिक महत्व से अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA भी प्रभावित व आकर्षित हुई थी और साल 2017 के गुरु पूर्णिमा पर्व पर 6 जुलाई को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से इसका उल्लेख किया था | कई भारतीयों नें अमरीकी NASA को पहचान देने के लिए आभार भी प्रकट किया था |


मंगलवार, 12 जुलाई 2022

विद्यार्थियों के लिए योग शिक्षा

विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है कि विद्याध्ययन के दौरान उनका शारीरिक मानसिक संतुलन बना रहे। आज के युग में पढ़ाई के तौर तरीके बदल गये हैं। स्कूली पढ़ाई के अतिरिक्त अन्य प्रकार के कौशल भी विद्यार्थी को प्राप्त करने पड़ते हैं। प्रतियोगिता के दौर में विद्यार्थी को अपना अधिकतम समय पढ़ाई लिखाई में ही लगाना पड़ता है। इसलिए आवश्यक है कि मानसिक तनाव को दूर करने के लिए खेल या योग के उपायों की श्रेष्ठ जीवन शैली को अपनाया जाये।
****:-योग प्रशिक्षक :आयुष हेल्थ वैलनेस सेण्टर साईखेड़ा थाना तह मुलताई जिला बैतूल मध्यप्रदेश 

"व्यास -गुरुपूर्णिमा "

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"व्यास–गुरु पूर्णिमा"

           महर्षि वेदव्यास जी अमर हैं। महान विभूति वेदव्यास का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा को लगभग 3000 ई. पूर्व में हुआ था। महर्षि व्यास का पूरा नाम कृष्णद्वैपायन है। उन्होंने वेदों का विभाग किया, इसलिए उनको व्यास या वेदव्यास कहा जाता है। उनके पिता महर्षि पराशर तथा माता सत्यवती है। 

           भारत भर में गुरुपूर्णिमा के दिन गुरुदेव की पूजा के साथ महर्षि व्यास की पूजा भी की जाती है। महर्षि वेदव्यास भगवान विष्णु के कालावतार माने गए हैं। द्वापर युग के अंतिम भाग में व्यासजी प्रकट हुए थे। उन्होंने अपनी सर्वज्ञ दृष्टि से समझ लिया कि कलियुग में मनुष्यों की शारीरिक शक्ति और बुद्धि शक्ति बहुत घट जाएगी। इसलिए कलियुग के मनुष्यों को सभी वेदों का अध्ययन करना और उनको समझ लेना संभव नहीं रहेगा।

           व्यासजी ने यह जानकर वेदों के चार विभाग कर दिए। जो लोग वेदों को पढ़, समझ नहीं सकते, उनके लिए महाभारत की रचना की। महाभारत में वेदों का सभी ज्ञान आ गया है। धर्मशास्त्र, नीतिशास्त्र, उपासना और ज्ञान-विज्ञान की सभी बातें महाभारत में बड़े सरल ढंग से समझाई गई हैं।

           इसके अतिरिक्त पुराणों की अधिकांश कथाओं द्वारा हमारे देश, समाज तथा धर्म का पूरा इतिहास महाभारत में आया है। महाभारत की कथाएं बड़ी रोचक और उपदेशप्रद हैं। सब प्रकार की रुचि रखने वाले लोग भगवान की उपासना में लगें और इस प्रकार सभी मनुष्यों का कल्याण हो। इसी भाव से व्यासजी ने अठारह पुराणों की रचना की।

           इन पुराणों में भगवान के सुंदर चरित्र व्यक्त किए गए हैं। भगवान के भक्त, धर्मात्मा लोगों की कथाएं पुराणों में सम्मिलित हैं। इसके साथ-साथ व्रत-उपवास को की विधि, तीर्थों का माहात्म्य आदि लाभदायक उपदेशों से पुराण परिपूर्ण है।

           वेदांत दर्शन के रचना करने वाले महर्षि वेदव्यास ने वेदांत दर्शन को छोटे-छोटे सूत्रों में लिखा गया है, लेकिन गंभीर सूत्रों के कारण ही उनका अर्थ समझने के लिए बड़े-बड़े ग्रंथ लिखे हैं। 

           धार्मिक मान्यता के अनुसार ही गुरुपूर्णिमा पर गुरुदेव की पूजा के साथ ही महर्षि व्यास की पूजा भी की जाती है। हिन्दू धर्म के सभी भागों को व्यासजी ने पुराणों में भली-भांति समझाया है। महर्षि व्यास सभी हिन्दुओं के परम पुरुष हैं।

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